Saturday, 11 February 2012

राहत इन्दौरी

तेरी हर बात मोहब्बत में गवारा करके
दिल के बाज़ार में बैठे हैँ ख़सारा[1] करके

एक चिन्गारी नज़र आई थी बस्ती मेँ उसे
वो अलग हट गया आँधी को इशारा करके

मुन्तज़िर[2] हूँ कि सितारों की ज़रा आँख लगे
चाँद को छत पे बुला लूँगा इशारा करके

मैं वो दरिया हूँ कि हर बूँद भंवर है जिसकी
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके

शब्दार्थ:

↑ हानि क्षति नुक्सान
↑ इंतज़ार करने वाला

No comments:

Post a Comment