Sunday, 9 October 2011

Baseer badr

कहाँ आँसुओं की ये सौगात होगी 
नए लोग होंगे नयी बात होगी 

मैं हर हाल में मुस्कराता रहूँगा 
तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी 

चराग़ों को आँखों में महफूज़ रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी 

न तुम होश में हो न हम होश में है 
चलो मयकदे में वहीं बात होगी

जहाँ वादियों में नए फूल आएँ 
हमारी तुम्हारी मुलाक़ात होगी 

सदाओं को अल्फाज़ मिलने न पायें 
न बादल घिरेंगे न बरसात होगी 

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी 
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

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