Thursday, 20 October 2011

Waseem barelvi

आते-आते मेरा नाम सा रह गया 
उस के होंठों पे कुछ काँपता रह गया

वो मेरे सामने ही गया और मैं 
रास्ते की तरह देखता रह गया

झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये 
और मैं था कि सच बोलता रह गया

आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे 
ये दिया कैसे जलता रह गया

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